फार्म बिल 2020 : सच और झूठ

मोदी सरकार का फार्म बिल 2020 एक एतिहासिक बिल है जो देश के किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक साबित होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि सदैव देश के किसानों के हित के लिए प्रभावी तरीक़े से विकास की ओर रही है। किसानों के लाभ के लिए लाए गए फार्म बिल में ऐसे कई प्रावधान हैं जिससे वह अपनी फसल और भी कुशल और हितकर ढंग से बेच सकेंगे।

परंतु दुःख की बात है की हमेशा की तरह विपक्ष अपने निजी लाभ के लिए किसानों और देश को गुमराह करने में लग पड़ा है। इस “फ़ेक न्यूज़” के दौर में यह ज़रूरी है की हम सच्चाई को अपनी समझदारी से समझें और उसके बाद ही अपनी राय बनाएँ। इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आपसे फार्म बिल को लेकर जो मिथक फैलाए जा रहे हैं, उन्हें स्पष्ट करना चाहता हूँ।

फार्म बिल के मूल बिंदु

  • ‘एक देश, एक कृषि मार्केट’ के माध्यम से किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य
  • किसानों और व्यापारियों को मंडी से बाहर फ़सल बेचने की आज़ादी
  • कांट्रैक्ट फार्मिंग के मसले पर लागू किए गए इस विधेयक से खेती का जोखिम कम होगा और किसानों की आय में सुधार होगा
  • व्यापार क्षेत्र में किसान उपज की इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की अनुमति
  • राज्य सरकार किसानों, व्यापारियों और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स से कोई बाजार फीस, सेस या प्रभार नहीं वसूल सकेगी
  • किसानों के उत्पादों की खरीद के दिन या अधिकतम तीन दिनों के भीतर कीमतों का भुगतान करने का प्रावधान
  • इस कानून के तहत आने वाले व्यापार क्षेत्र में अनुसूचित कृषक उपज के व्यापार पर कोई शुल्क नहीं लगेगा

फार्म बिल से जुड़े मिथक व सत्य को सरल भाषा में समझिए

मिथक : किसानों को इस बिल के आने के बाद न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) नहीं मिलेगा
सत्य : इस बिल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) से कोई लेना देना नहीं है। वह प्रणाली पहले की तरह चलती रहेगी

मिथक : यह बिल किसान विरोधी है
सत्य : मोदी सरकार की दूरदर्शी सोच से “वन नेशन, वन मार्केट” लागू करने के ओर यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण क़दम है

मिथक : इस बिल के आने से मंडियाँ बंद हो जाएँगी
सत्य : मंडियों पर इसका कोई असर नहीं पढ़ेगा। वह पहले की तरह ही चलती रहेंगी

मिथक : किसानों की ज़मीन बड़ी कम्पनियाँ खा जाएँगी
सत्य : बिल में यह स्पष्ट तरीक़े से वर्णित है की समझौता सिर्फ़ फसलों का होगा, ज़मीन का नहीं

मिथक : बड़ी कम्पनियाँ किसानों का शोषण करेंगी
सत्य : यह बिल कथित बात के बिलकुल विपरीत है। उल्टा किसानों को यह प्रावधान दिया गया है की बिना किसी पेनल्टी के वह किसी भी कॉंट्रैक्ट से अपनी इच्छानुसार पीछे हट सकते हैं

स्वयं एक बाग़बान होने के नाते मैं यह पूरी निश्चितता के साथ कह सकता हूँ की मोदी सरकार के इस निर्णय से किसानों को लाभ पहुँचेगा। इसका विरोध करने वाले वही लोग हैं जो बिचौलियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखना चाहते हैं और यह चाहते हैं की किसान को पूरा मुनाफ़ा ना मिले।

21वीं सदी में भारत का किसान बंधनों में नहीं, खुलकर खेती करेगा। 21वीं सदी का किसान जहां मन किया वहां फसल बेचेगा और जहां ज्यादा पैसा मिले वहां पर फसल बेचेगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी

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